इंदौर में कोरोना संक्रमित 1 लाख पार, 88 हजार हुए स्वस्थ, संक्रमण दर 11 से बढ़कर साढ़े 18%
इंदौर
कोरोना की दूसरी लहर के बीच इंदौर में संक्रमितों की संख्या शनिवार को एक लाख के पार हो गई। हालांकि राहत की खबर है कि इसमें 88,168 स्वस्थ हो चुके हैं। यानी स्वस्थ होने की दर 88% है, जो संतोषजनक मानी जा रही है। मार्च और अप्रैल के बीच एक महीने का आकलन करें तो कोरोना की संक्रमण दर 11 से बढ़कर साढ़े 18 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह कोरोना का समुदाय में तेजी से फैलने का सूचकांक है, पर तस्वीर का दूसरा पहलू देखें तो यह थोड़ी राहत भी देता है कि कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या भी अच्छी-खासी हो चुकी है। अब तक 88 हजार से अधिक मरीज डिस्चार्ज होकर घर जा चुके हैं।
इंदौर में हालात इसलिए चिंताजनक और बेकाबू हैं कि यहां 12 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित इस समय विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। इनमें से आधे से अधिक गंभीर हैं, लेकिन इनके लिए जीवनरक्षक दवाओं की लगातार कमी चल रही है। इसमें रेमडेसिविर और टोसी इंजेक्शन प्रमुख हैं।
फेफड़ों में अधिक संक्रमण वाले मरीजों को आक्सीजन भी बहुत ज्यादा मात्रा में लग रही है। एमजीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. वीपी पांडे का मानना है कि इस समय ज्यादातर गंभीर मरीजों को 10 से लेकर 20 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन लग रही है। इंदौर पर स्थानीय और आसपास का ही नहीं सागर, बालाघाट, गुना, अशोक नगर तक के मरीजों का भी बोझ है।
संभागायुक्त डा. पवन शर्मा के मुताबिक, कई मरीज देर से अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इस कारण इलाज के बावजूद उनको बचाना मुश्किल हो रहा है। कई लोग पाजिटिव होने के बाद भी डाक्टर के पास इलाज के लिए नहीं जा रहे हैं, यह ठीक नहीं है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के इंदौर के अध्यक्ष डा. सतीश जोशी का कहना है कि इस समय मरीजों के लिए बुनियादी समस्या अस्पतालों में बेड की है। गंभीर मरीज को रेमडेसिविर भले ही दो दिन मिले लेकिन आक्सीजन जल्दी मिल जाए तो भी बचाया जा सकता है।