आयुष यूजी काउंसलिंग में अनारक्षित को पांच और आरक्षित को दस परसेंटाइल की राहत
भोपाल
आयुष विभाग ने प्रदेश के सभी आयुर्वेद, यूनानी, हौम्योपैथी और नैचरोपैथी कॉलेजों में प्रवेश देने के लिए नीट परीक्षा की परसेंटाइल में कटौती की है। इससे कम स्कोर लेने वाले विद्यार्थी आसानी से कालेजों में प्रवेश ले पाएंगे। सामान्य वर्ग में 45 से कटौती कर 40 परसेंटाइल कर दिया गया है। वहीं सामान्य वर्ग के दिव्यांग के लिए 35 परसेंटाइल दिया गया है। इसके लावा एससी-एसटी और ओबीए के उम्मीदवार अब 40 के स्थान 30 परसेंटाइल मिलने तक प्रवेश लेने के लिए काउंसलिंग में भागीदारी कर पाएंगे। आयुष विभाग की काउसंलिंग में अभी च्वाइस फिलिंग चल रह है, जो 19 जनवरी तक चलेगी। उनके अलाटमेंट 25 जनवरी को किए जाएंगे। विद्यार्थी 27 से 31 जनवरी तक कालेजों में रिपोर्टिंग कर प्रवेश पुख्ता करेंगे। अभी तक आयुष विभाग ने प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा निजी आयुर्वेद कालेजों की मान्यता जारी नहीं की है। इससे विद्यार्थी परसेंटाइल में हुई पांच और दस फीसदी कटौती कर लाभ प्रवेश के दौरान नहीं ले पाएंगे।
प्रदेश के 30 आयुर्वेद, यूनानी, हौम्योपैथी और नैचरोपैथी कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। क्योंकि सीसीआईएम (सेंट्रल काउंसिल आॅफ इण्डियन मेडिसिन, बोर्ड आॅफ गवर्नर्स) ने प्रदेश के 120 प्रोफेसरों के साथ देशभर के 2700 प्रोफेसरों को डी-बार किया है। वे अब दस साल तक कालेजों में नहीं पढाएंगे। इससे सूबे में प्रोफेसरों का टोटा हो गया है। कुछ प्रकरणों में 14 जनवरी को राहत दी गई है। इससे कुछ कालेजों को प्रोफेसर और अन्य टास्फ की नियुक्ति पर राहत मिलेगी। इससे वे वर्तमान में चल रही काउसंलिंग में भी भागीदारी कर सकते हैं।
बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस व नैचरोपैथी में प्रवेश लेने दूसरे राउंड की काउंसलिंग शुरू हो गई है। इसमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, इंदौर, बुरहानपुर, उज्जैन के सिर्फ 13 कालेज शामिल होंगे। जबकि सूबे में 43 आयुष मेडिकल कालेज हैं। शेष 30 कालेजों की मान्यता सीसीआईएम की बोर्ड आॅफ गवर्नस ने जारी नहीं की है, जिसमें सूबे के सभी 12 आयुर्वेद कालेज शामिल हैं। इसकी वजह उनके 120 प्रोफेसरों को दस साल के लिए डी-बार होना है। इससे वे दस साल तक कालेजों में अध्ययन नहीं करा पाएंगे। उन्हें मान्यता देने सीसीआईएम ने सुनवाई शुरू कर दी गई है। सुनवाई के बाद मान्यता जारी होने में करीब 15 दिन लग सकते हैं।
सीसीआईएम ने मांगे डीबार प्रोफेसरों से सबूत
सीसीआईएम ने प्रदेश के साथ देशभर के प्रोफेसरों को यह कते हुए डीबार किया है कि वे उसी राज्य में कालेजों में नहीं पढाते, जिस राज्य में उनका पंजीयन है। उन्होंने ये निर्णय फर्जीवाडा उजागर करने के लिए किया है। इसलिए डीबार हुए प्रोफेसरों से सीसीआईएम ने राज्य के बोर्ड में पंजीयन, सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट, राशनकार्ड, माकान, बच्चों का एजुकेशन, शहर में खरीददारी के प्रमाण मांंगे हैं।
सूबे के आयुर्वेद कालेज
राजीव गांधी, रानीदुल्लैया, वीणावादनी, मानसरोवर, सीयाराम, सेम, एलएनसीटी, पारशर, विजयश्री जबलपुर, शुभदीप इंदौर, पं शिवशक्ति शर्मा रतलाम, मंदसौर आयुर्वेद कालेज मंदसौर।
वर्जन
सीसीआईएम बीओजी व केंद्रीय आयुष मंत्रालय आयुष चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं कर रहा, जो ठीक है। देशभर के आयुर्वेद कालेजों की सुनवाई जारी है। संभावना है कि कॉलेजों की मान्यताओं एवं डीबार पर निर्णय शीघ्र होगा।
डॉ राकेश पाण्डेय
कार्यकारी अध्यक्ष, निजी आयुर्वेद कॉलेज शिक्षण कल्याण संघ